बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
अथवा
संवेग की परिभाषा लिखिए। मध्य बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
संवेग का अर्थ
(Meaning of Emotion )
'Emotion' शब्द लैटिन भाषा के 'Emover' शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, भड़क जाना या उत्तेजित होना। भाव प्रत्येक व्यक्ति में होते हैं। जब उनकी मात्रा बढ़ जाती है तो व्यक्ति उत्तेजित हो जाता है। इसी उत्तेजित अवस्था को संवेग कहते हैं। संवेग एक ऐसी परिस्थिति होती है, जबकि कोई भी व्यक्ति किसी वस्तु या परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण अधिक बढ़ा हुआ रहता है। इसलिए साधारण अवस्था की शारीरिक क्रियाएँ वस्तुतः अलग हो जाती हैं। व्यक्ति में शारीरिक परिवर्तन आ जाते हैं।
संवेग की परिभाषाएं संवेग की कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं: -
वुडवर्थ के अनुसार, "संवेग, जीव शरीर की उत्तेजित अथवा तीव्र अवस्था है। यह भावना के उस रूप में उत्तेजित अवस्था है, जिसमें कि वह व्यक्ति को स्वयं प्रतीत होती है। यह पेशिक तथा ग्रन्थिक क्रिया की गड़बड़ी है, जैसा कि बाह्य निरीक्षक को प्रतीत होती हैं।'
पी. टी. यंग के अनुसार "संवेग, जीव की उत्तेजित मनोशारीरिक दशा है :
एक निश्चित उद्देश्य की ओर शारीरिक क्रिया में वृद्धि तथा तीव्र भावनाएँ इसकी विशिष्टता होती हैं।
बोरिंग, लैंगफील्ड तथा वील्ड के अनुसार "संवेग प्रभावात्मक क्रियाओं से इस दृष्टि से मिलते-जुलते हैं कि दोनों प्राणी की सामान्य प्रतिक्रिया मनोवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं एवं जीव के लिए विशेष प्राणी शास्त्रीय (Biological) महत्व रखते हैं।
उत्तर बाल्यावस्था या मध्य बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास (Emotional Development During Middle Childhood )- इस अवस्था में भी भाव पहले वाली अवस्थाओं के समान ही होते हैं किन्तु भावों के उद्दीपन एवं प्रदर्शन के व्यवहार भिन्न-भिन्न हो जाते हैं। 6 वर्ष के बाद बालक यह समझने लगता है कि अन्य लोगों के साथ उचित समायोजन के लिए समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहार प्रतिमान के रूप में हैं और उन्हें अपना होगा। अनुभव बढ़ने के साथ-साथ वे शारीरिक एवं निराशावादी होते जाते हैं तथा अभिव्यक्ति के तरीके भी अधिक तीव्र हो जाते हैं। उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास निम्नलिखित है-
1. क्रोध (Anger)- इच्छा पूर्ति में बाधा, स्वतन्त्रता छिनना, क्रियाकलापों में हस्तक्षेप, तुलना में नीचा दिखाना, कमियाँ और गलतियाँ निकालना बालकों में क्रोध का कारण बढाता है। चिढाये जाने तथा उपदेश दिये जाने पर भी बालकों में क्रोध आने लगता है। यह क्रोध व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति अथवा स्वयं पर आ सकता है। क्रोध की अभिव्यक्ति में बालक जोर से बोलना, गालियों का प्रयोग करना, मारना पीटना, चिढ़ाना, व्यंगात्मक भाषा का प्रयोग करना प्रारम्भ कर देता है। इस अवस्था में क्रोध की अभिव्यक्ति का तरीका बालक-बालिका सामान्यतः अपने माता- पिता के क्रोध प्रदर्शन के तरीके से गृहण करते है।
2. भय (Fear)- इस अवस्था में भय वास्तविक की तुलना में काल्पनिक अधिक होते हैं। जिन बालकों का समायोजन विद्यालय, परिवार अथवा मित्र- मण्डली में अच्छा नहीं हो पाता, उनमें भय का भाव अधिक पाया जाता है। भय के दौरान आकुलता अधिक बढ़ जाने से मन की बैचेनी, एकाग्रता का अभाव तथा गलतियाँ अधिक करने की प्रवृत्ति पायी जाती है। प्रतिष्ठा हनन तथा उपहास का पात्र बनने के भय से बालक अंगों का अनावश्यक प्रयोग, हाथ-पैर हिलाना, कपड़ों के कोने या बटन से खेलना या खींचना, पैर पर पैर टिकाना आदि व्यवहार करने लगता है।
3. ईष्या (Jealousy)- पक्षपातपूर्ण व्यवहार अपने अधिकारों का छिनना, स्नेह का छिनना आदि व्यवहार बालक में ईष्या उत्पन्न करता है। ईष्या के क्षेत्र परिवार, विद्यालय, मित्र- मण्डली हो सकते है ईष्या की अभिव्यक्ति में परोक्ष बुराई करना, हानि पहुँचाने की चेष्टा करने के अतिरिक्त झगड़ना, चिढाना, नीचा दिखाने का प्रयत्न करना आदि व्यवहार देखे जाते हैं। ईष्या बालक में तनाव तथा प्रतियोगिता एवं स्पर्धा भी उत्पन्न करती है। ईष्या की भावना लड़कियों में अधिक पायी जाती है। कमजोर स्वास्थ्य वाले बालकों में भी ईष्या की भावना पाई जाती है।
4. जिज्ञासा (Curisity)- इस अवस्था में जिज्ञासा की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। नवीन जानकारियाँ बालक को प्रेरित करती हैं और जानने की प्रवृत्ति, नये अविष्कार, आश्चर्य, विचित्रता बालक के जिज्ञासा के केन्द्र होते हैं। विद्यालय, मित्र- मण्डली, संचार माध्यम, बालक में जिज्ञासा को बढ़ाने का कार्य करते हैं। विषमलिंगी सम्बन्ध, शरीर के अंग अवयवों की क्रियाशीलता विशेष रूप से प्रजनन एवं उत्सर्जी अंगों की बनावट, क्रिया भी बालकों में जिज्ञासा उत्पन्न करती है। आरम्भ में बालक प्रश्नों के द्वारा जिज्ञासा शान्त करता है किन्तु अध्ययन में दक्षता के साथ अधिक से अधिक बढ़ना, वार्तालाप, संचार माध्यम बालक की जिज्ञासा को शान्त करते हैं।
5. स्नेह - मध्य बाल्यावस्था में बालक के स्नेह का संवेग उस व्यक्ति अथवा वस्तु से जुड़ा होता है जो उसे खुशी प्रदान करते हैं जैसे घर में उसकी इच्छाएँ पूरी करने वाला व्यक्ति, तारीफ करने वाला व्यक्ति, साथ खेलने वाली मित्र- मण्डली, विद्यालय में खुश रहने वाले व प्रशंसा करने वाले शिक्षक। सहानुभूति एवं स्नेह के प्रतिदानस्वरूप भी बालक स्नेह प्रदर्शित करते हैं। इस अवस्था में स्नेह से वांचित बालक एकान्त प्रेमी एवं कम आत्मनिर्भर पाये जाते हैं। स्नेह संवेग एवं उनकी स्वतन्त्र अभिव्यक्ति बालिकाओं में अधिक पाई जाती है।
6. हर्ष एवं आनन्द (Joy) लक्ष्यों से वांछित सफलता मिलना, आन्तरिक इच्छाओं की पूर्ति होना, खेल के मैदान में जीतना आदि इस अवस्था के हर्ष एवं आनन्द के मुख्य उद्दीपक हैं। यह एक सकारात्मक भाव है तथा इससे बालक में संतोष मिलता है। बालक के हर्ष के संवेग अपनी मित्र मण्डली में अधिक खुलकर अभिव्यक्त किये जाते हैं। अभिव्यक्ति में मुस्कुराना, हंसना, उछलना, कूदंना, पेट पकड़कर जोर-जोर से हंसना एवं हंसते-हंसते आँसू निकलना आदि द्वारा होती है।
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- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
- प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।